सोलर पैनल: क्या है और कैसे काम करता है : 2023?

सोलर पैनल क्या है और कैसे काम करता है?

सोलर पैनल के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं सोलर पैनल क्या होता है (Solar Panel in Hindi) और यह कैसे काम करता है? अगर नहीं तो आज का यह आर्टिकल पूरा जरुर पढ़ें. क्योंकि आज के इस आर्टिकल में आपको सोलर पैनल से जुड़ी सभी जानकारियां पढ़ने को मिलेंगी. 

सोलर पैनल एक ऐसा उपकरण है जिसकी मदद से सूर्य की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में तब्दील किया जाता है. इसे बनाने के लिए छोटे-छोटे सेल्स को परस्पर संयोजित किया जाता है जो सूर्य से मिलने वाली रोशनी को अवशोषित कर उन्हें ऊष्मा में कन्वर्ट करते हैं और बिजली का उत्पादन करते हैं.

सोलर पैनल क्या है और कैसे काम करता है?

बिजली इंसान की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है और इसका महत्त्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. लगभग सभी कामों को पूरा करने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है, इसलिए इंसान इस पर पूरी तरह से निर्भर हो चुका है. 

बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तरह-तरह की तकनीक भी इस्तेमाल में लायी जा रही हैं. इन्ही तकनीक में सोलर सिस्टम शामिल है जो बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए प्राकृतिक स्रोत का इस्तेमाल कर हमे बिजली प्रदान करता है. तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं Solar Panel से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में.

सोलर पैनल क्या है? – What is Solar Panel in Hindi

सोलर पैनल जिसे सोलर सिस्टम भी कहा जाता है, एक ऐसा उपकरण है जो सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है. मतलब सूर्य से निकलने वाली किरणों को अवशोषित कर उन्हें ऊष्मा या बिजली में बदलने का काम करता है. इसके लिए किसी भी तरह के ईंधन जैसे पेट्रोल या डीजल की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यह सिर्फ सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल करता है.

सोलर पैनल कैसे काम करता है?

सूर्य से निकलने वाली रोशनी में ऊर्जा के कुछ कण कण होते हैं जिन्हें फोटॉन कहा जाता है. इन फोटॉन की एनर्जी से प्राप्त होने वाली ऊर्जा या विद्युत को ही सौर ऊर्जा कहा जाता है.

सोलर पैनल में बहुत सारे सोलर सैल लगे होते हैं. इन सोलर सैल को सोलर बैटरी भी कहा जाता है. ये सोलर सेल सिलिकॉन की परत से बने हुए होते हैं जो कि एक अर्धचालक (semiconductor) प्रकृति की धातु है, जिसके साथ फास्फोरस (जो negative charge पैदा करता है) और बोरोन (जो positive charge पैदा करता है) का इस्तेमाल भी किया जाता है.

जब फोटॉन solar panel की सतह से टकराते हैं तब electrons अपने atomic orbit से निकल कर सोलर सेल द्वारा उत्पन्न किए गए इलेक्ट्रिक फील्ड में चले जाते हैं जो कि इन्हें एक directional current (दिष्ट धारा) में खींचता है. इस पूरी प्रक्रिया को फोटोवोल्टिक प्रभाव (Photovoltaic Effect) कहा जाता है. और कुछ इस तरह से हमें सोलर पैनल की मदद से बिजली की प्राप्ति होती है. इसे और अच्छे से समझने के लिए आइए जानते हैं ‘फोटोवोल्टिक प्रभाव’ के बारे में.

सोलर पैनल / सोलर सेल किस सिद्धांत पर कार्य करता है?

सोलर सेल ‘फोटोवोल्टिक प्रभाव’ के सिद्धांत पर कार्य करता है. फोटोवोल्टिक प्रभाव एक ऐसी प्रक्रिया है जो सूर्य की किरणों के संपर्क में आने पर voltage या electric current पैदा करती है. इसी सिद्धांत के आधार पर एक सोलर पैनल सूर्य के प्रकाश को विद्युत ऊर्जा में बदलता है.

प्रक्रिया

Photovoltaic effect सोलर सेल में उत्पन्न होता है. सोलर सेल दो अलग-अलग तरह के सेमीकंडक्टर से बने होते हैं. इनमे एक p-type (पॉजिटिव चार्ज के साथ) और एक n-type (नेगेटिव चार्ज के साथ) होता है जो एक साथ जुड़ कर p-n junction बनाते हैं.

जब इन दो तरह के सेमीकंडक्टर को जोड़ा जाता है तो जंक्शन के क्षेत्र में एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है. ऐसा कुछ इलेक्ट्रॉन्स के पॉजिटिव p-side जाने और कुछ होल्स के नेगेटिव n-side जाने पर होता है. इसे आप diagram में देख सकते हैं.

इस क्षेत्र की वजह से ही negatively charged कण एक दिशा में मूव करते हैं जबकि positively charged कण इसके विपरीत दिशा में मूव करते हैं.

सूर्य का प्रकाश फोटॉन से बना होता है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के छोटे बंडल होते हैं. इन फोटॉन को एक फोटोवोल्टिक सेल के द्वारा अवशोषित किया जाता है. जब photons इन सेल से टकराते हैं तो ऊर्जा फोटॉन से निकल कर सेमीकंडक्टर मटेरियल के atom में p-n junction में चली जाती है. विशेष रूप से, ऊर्जा मटेरियल के इलेक्ट्रॉन्स में जाती है. इसके बाद इलेक्ट्रॉन्स हाई एनर्जी स्टेट में चले जाते हैं, जिसे conduction band कहा जाता है, और n-side की तरफ मूव करने लगते हैं, जबकि होल्स p-side की तरफ मूव करते हैं.

अब n-side सेमीकंडक्टर के ऊपर मेटल की कुछ plates लगी होती हैं जो इलेक्ट्रॉन्स को absorb कर बाहर की तरफ फ्लो कराते हैं, जिसकी वजह से करंट उत्पन्न होता है.

सोलर पैनल कितने प्रकार के होते है? – Types of Solar Panel in Hindi

सोलर पैनल तीन प्रकार के होते हैं: Monocrystalline सोलर पैनल, Polycrystalline सोलर पैनल और Thin-Film सोलर पैनल. इन तीनों को बनाने के तरीका अलग अलग है और ये दिखने में भी एक दूसरे से अलग होते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.

1. Monocrystalline Solar Panel – मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल सबसे पुराना और अधिक विकसित सोलर पैनल है. इसे बनाने के लिए लगभग 40 मोनोक्रिस्टलाइन सोलर सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है. ये सोलर सेल्स शुद्ध सिलिकॉन के बने होते हैं. इन्हें बनाने की प्रक्रिया को czochralski method कहा जाता है, जिसमे एक seed crystal को पिघले हुए सिलिकॉन से भरे टब में रखा जाता है. इसके बाद crystal को धीरे-धीरे टब से बाहर निकाला जाता है जिससे एक solid crystal का निर्माण होता है. इसे ingot (धातु का पिंड) कहा जाता है. अब इस ingot को पतले सिलिकॉन वेफर्स में काट दिया जाता है. अब इन वेफर्स से सेल बनता है और कई सारे सेल्स को एक साथ जोड़कर सोलर पैनल तैयार किया जाता है.

मोनोक्रिस्टलाइन सोलर सेल दिखने में काले रंग के होते हैं. क्योंकि इनमे सूर्य की किरणें सीधी शुद्ध सिलिकॉन के साथ interact करती है. इसके back sheets और frames काफी रंगों में उपलब्ध होते हैं. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर सेल दिखने में बिना कोने वाले square की तरह होते हैं. इसलिए सोलर पैनल में सेल्स के बीच थोड़ा फासला होता है.

2. Polycrystalline Solar Panel – पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल एक नया डेवलपमेंट है, लेकिन यह बहुत ही तेजी के साथ पॉपुलर हो रहा है. यह अन्य सोलर पैनल के मुकाबले बेहतर तरीके से काम करता है. मोनोक्रिस्टलाइन सोलर सेल की तरह पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल भी सिलिकॉन से बना होता है, लेकिन पॉलीक्रिस्टलाइन सेल्स एक साथ पिघले हुए सिलिकॉन क्रिस्टल के टुकड़ों से बनाते हैं.

इसे बनाने के लिए seed crystal को पिघली हुई सिलिकॉन के टब में रखा जाता है. इसे धीरे-धीरे बाहर निकालने की बजाय, crystal के टुकड़े कर ठंडा होने दिया जाता है. जब crystal अपने सांचे में ठंडा हो जाता है, तब सिलिकॉन के टुकड़े को पतले पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर वेफर में काटा जाता है. अब इन वेफर्स को जोड़कर पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल तैयार किया जाता है.

पॉलीक्रिस्टलाइन सेल्स दिखने में नील रंग के होते हैं. शुद्ध सिलिकॉन की तुलना में सूरज की रोशनी सिलिकॉन के टुकड़ों से अलग तरह से परावर्तित (reflect) होती है. पॉलीक्रिस्टलाइन सेल की शेप square होती है, इसलिए पैनल में सेल्स के कोनों में कोई फासला नहीं होता.

3. Thin-Film Solar Panel – थिन फिल्म सोलर पैनल इंडस्ट्री में एक बिल्कुल नया डेवलपमेंट है. इसकी सबसे अलग विशेषता यह है कि इसे हमेशा सिलिकॉन से नहीं बनाया जाता. इसे कई तरह के मटेरियल जैसे कैडमियम, टेल्यूराइड (CdTe), अमोर्फोस सिलिकॉन (a-Si) और कॉपर ईण्डीयुम गैलियम सोलेनाइड (CiGS) से बनाया जा सकता है. इन सोलर सेल्स को बनाने के लिए मुख्य मटेरियल को conductive material की पतली sheets के बीच रखा जाता है जिस पर प्रोटेक्शन के लिए शीशे की एक परत लगी होती है. a-Si सोलर पैनल में सिलिकॉन का इस्तेमाल होता है, लेकिन ये non-crystalline silicon का इस्तेमाल करते हैं और शीशे से ढके हुए होते हैं.

सोलर पैनल के उपयोग – Uses of Solar Panel in Hindi

सोलर पैनल का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है.

  • अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले spacecraft में लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को सोलर पैनल के इस्तेमाल से बिजली प्रदान की जाती है.
  • सड़कों पर और शहरों में लगी स्ट्रीट लाइट को दिन के समय सूर्य की किरणों द्वारा चार्ज किया जाता है और रात के समय में ये ऑन होकर रोशनी प्रदान करती है.
  • सौर ऊर्जा द्वारा खाना पकाने के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • हम अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगा कर आसानी से बिजली का प्रयोग कर सकते हैं.
  • कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और घड़ियों में बैटरी चार्ज करने के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जाता है.

सोलर पैनल के फायदे क्या हैं?

सोलर पैनल इस्तेमाल करने के कई सारे फायदे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  1. सोलर पैनल लगाने पर सिर्फ एक ही बार पैसे खर्च होते हैं और बाद में आपको मुफ्त में बिजली मिलती है या बिजली का बिल बहुत ही कम आता है.
  2. ग्रामीण इलाकों में या ऐसे स्थान जहाँ बिजली नहीं पहुंच सकती या बहुत ही कम बिजली सप्लाई होती है वहां सोलर पैनल की मदद से बिजली प्राप्त की जा सकती है.
  3. इसे उपयोग करना बहुत आसान और सुरक्षित है. साथ ही इसका रख-रखाव भी बहुत आसान है.
  4. सोलर पैनल के इस्तेमाल से बिजली प्राप्त करना अन्य संसाधनों की तुलना में काफी सस्ता है.
  5. इसके इस्तेमाल के दौरान किसी भी तरह का धुआं या विषैली गैस उत्पन्न नहीं होती है, जिससे आस-पास का वातावरण प्रदूषित नहीं होता और पर्यावरण शुद्ध रखने में मदद मिलती है.
  6. सोलर पैनल का इस्तेमाल कहीं पर भी किया जा सकता है. आप चाहे तो इसे अपने घर या ऑफिस में लगवा सकते हैं.

सोलर सेल में कौन सी विद्युत धारा प्राप्त होती है?

सोलर सेल में दिष्ट विद्युत धारा प्राप्त होती है.

Conclusion

मैं उम्मीद करता हूँ आपको मेरा यह लेख “सोलर पैनल क्या है और कैसे काम करता है” जरूर पसंद आया होगा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है Solar Panel in Hindi से जुड़ी हर जानकारी को सरल शब्दों में explain करने की ताकि आपको इस विषय के संदर्भ में किसी दूसरी website पर जाने की जरूरत ना पड़े.

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